व्यवहारिक मार्गदर्शिका >> मेरा जीवन तथा ध्येय मेरा जीवन तथा ध्येयस्वामी विवेकानन्द
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दुःखी मानवों की वेदना से विह्वल स्वामीजी का जीवंत व्याख्यान
संसार हमारे देश का अत्यंत ऋणी है।
यदि भिन्न-भिन्न देशों की तुलना की जाय तो मालूम होगा कि सारा संसार सहिष्णु एवं निरीह भारत का जितना ऋणी है उतना किसी और देश का नहीं।....
पुराने समय में और आजकल भी बहुत से अनोखे तत्त्व एक जाति से दूसरी जाति में पहुंचे हैं, और यह भी ठीक है कि किसी-किसी राष्ट्र की गतिशील जीवन तरंगों ने महान शक्तिशाली सत्य के बीजों को चारों ओर बिखेरा है।
स्वामी विवेकानन्द के साहित्य से संकलित यह पुस्तक, भारत की वर्तमान अवनति के कारण, उसकी वर्तमान परिस्थिति एवं उसके पुनरुज्जीवन के उपाय के संबंध में स्वामीजी के विचारों का दिग्दर्शन करा देगी।
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